विश्वास का विकृत स्वरूप ही धार्मिक कट्टरतावाद का रूप धारण करता है।
3.
बाजारवाद, उपभोक्तावाद, उत्तर-आधुनिकतावाद, सांस्कृतिक-राष्ट्रवाद तथा धार्मिक कट्टरतावाद आदि के मायाजाल में भटकाकर मनुष्यता के विरुद्ध साम्राज्यवाद का घिनौना खेल कितनी तीव्र गति से चल रहा है।
4.
हिंदुस्तान में धार्मिक कट्टरतावाद और उससे जुड़ी हुई सांप्रदायिक राजनीति का विरोध जो लोग पहले से करते आ रहे हैं, वही आज भी कर रहे हैं।
5.
अब तो देश के गृहमंत्री पी 0 चिदंबरम ने भी 0 5 जून को भोपाल में ही कह दिया कि मप्र में धार्मिक कट्टरतावाद बढ़ रहा है।
6.
जब समूची हिन्दी पट्टी में साप्रदायिकता और धार्मिक कट्टरतावाद की आंधी चल रही थी तब ऐसे दौर में उन्होंने धर्मनिरपेक्षता के पक्ष में ही नहीं बल्कि धार्मिक कूढ़मगजता के विरुद्ध भी अभियान छेड़ा था.
7.
अच्छा … उस वक्त केन्द्र में सरकार में “ प्रगतिशील ” और “ धर्मनिरपेक्ष ” लोगों की फ़ौज थी, खुद वीपी सिंह प्रधानमंत्री, और सलाहकार थे आरिफ़ मुहम्मद खान, इन्द्र कुमार गुजराल, अरुण नेहरू, और इन “ बहादुरों ” ने आतंकवादी बाँध के जो गेट खोले, तो अगले दस वर्षों में हमे क्या मिला? 30000 हजार लोगों की हत्या, हजारों भारतीय सैनिकों की मौत, घाटी से हिन्दुओं का पूर्ण सफ़ाया, धार्मिक कट्टरतावाद, हिन्दू तीर्थयात्रियों का कत्ले-आम, क्या खूब दूरदृष्टि पाई थी “ धर्मनिरपेक्ष ” सरकारों ने!!!!